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product identifier | ISBN 978-81-947146-0-6 |
सैकड़ों साल पुरानी एक भविष्यवाणी, जो सच होने को है। लंबे अरसे से हैमिल पर्वत की गुफ़ाओं में क़ैद कुश्लम का पुराना शत्रु अब बाहर निकलने वाला है। इस दफ़ा उसकी तैयारी पूरी है। जो काम पहले अधूरा छूट गया था, इस बार उसने उसको पूरा करने की ठान ली है। वह नरभक्षी सेना और उसके दुष्ट शासक, हाजुद-महाजुद धरती पर राज करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस बार वह कुश्लम ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से मानव जाति को मिटा देंगे। ईश्वर की नगरी कुश्लम को बचाने और उसके शत्रु को नष्ट करने की शक्ति केवल भगवान विष्णु के अवतार अधाता में है। नियति ने जिसे ऐसी परिस्थितियों में धकेल दिया है, जो उसके नियंत्रण से बाहर हैं। वह कैसे स्वीकार करेगा कि वह कोई मामूली किसान नहीं बल्कि एक अवतार है? क्या वह साधारण सा मानव कुश्लम को दुखों के दलदल से बचाने में सक्षम हो सकेगा? क्या वह दुनिया को उन गुफ़ाओं में क़ैद राक्षसों के भय से मुक्त कर सकेगा, जिन्होंने उस अचूक जाल से बाहर निकलने का रास्ता खोज लिया है? क्या वह नियति के सारे रहस्यों को समझ पाएगा?
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